पॉलीहाऊस में टमाटर की खेती

पॉलीहाऊस में टमाटर की खेती आज के समय में किसानों के लिए लाभदायक साबित हो रही है, क्योकि टमाटर सिर्फ हमारे दैनिक आहार का महत्वपूर्ण हिस्सा ही नहीं बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य, सौन्दर्य और व्यवसायिक दृष्टि से भी बहुत उपयोगी है। पॉलीहाऊस में टमाटर की खेती करने से कम जमीन में ज्यादा उपज मिलती है और इसमें अच्छी गुणवत्ता वाले टमाटर मिलने के कारण किसानों को बाजार में अच्छे दाम मिलते है, पॉलीहाऊस एक संरक्षित खेती की तकनीक है, जिसमें नियंत्रित वातावरण में फसल उगाई जाती है इसमें तापमान, नमी और धूप को अपने हिसाब से नियंत्रित किया जाता है, जिससे फसल की पैदावार अच्छी होती है पॉलीहाऊस में टमाटर की खेती करने का एक फायदा यह भी है कि इसमें टमाटर जैसी संवेदनशील फसल को मौसम की मार (जैसे ठण्ड, बारिश और ओले गिरना) से सुरक्षा मिलती है।

पॉलीहाऊस में टमाटर की खेती के लिए उन्नत किस्में

Naveen 2000+  – रोग प्रतिरोधी और अधिक उपज देने वाली हाइब्रिड किस्म

Sartaj Plus  – लम्बे समय तक उपज देने वाली किस्म

GS-600  – आकार में बड़े व लाल टमाटर और वायरस प्रतिरोधी

NS 4266  – शीघ्र पकने वाली किस्म

Arka Samrat  – 6 से 8 महीने तक उत्पादन और बैक्टीरियल विल्ट नामक रोग के प्रति रोगरोधी

Arka Vikas  – 60 से 70 दिनों में पहली तुड़ाई

Abhinav  – कम रखरखाव की जरुरत और लम्बी फसल अवधि

Super Red  – लम्बे समय तक ताजा रहने की क्षमता और फफूंद व वायरस के प्रति अच्छी प्रतिरोधक क्षमता

टमाटर की खेती के लिए अनुकूल परिस्थितियां

मिट्टी का चुनाव

टमाटर की खेती लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है लेकिन रेतीली दोमट या दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है।

टमाटर की खेती के लिए समतल सतह वाली भुरभुरी मिट्टी की आवश्यकता होती है।

मिट्टी का चुनाव करते समय यह ध्यान रखें कि उसमें उचित जल निकास की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि उसमें जलभराव न हो।

मिट्टी का ph मान

सामान्यतः टमाटर की खेती 6 से 7 ph मान वाली मिट्टी में अच्छी होती है।

उपयुक्त तापमान

टमाटर की खेती के लिए 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है।

पॉलीहाऊस में टमाटर की खेती के लिए खेत की तैयारी

खेत की जुताई करना और खाद डालना

पॉलीहाऊस में टमाटर की खेती करने के लिए खेत में पर्याप्त मात्रा में खाद एवं उर्वरक डालना अति आवश्यक है।

बुआई से पहले 8 से 10 टन प्रति एकड़ सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद डालकर खेत में मिला दे।

रासायनिक उर्वरक के रूप में 60 किलो नाइट्रोजन, 30 किलो फॉस्फोरस और 25 किलो पोटाश आखिरी जुताई से पहले डालें।

टमाटर की खेती के लिए मिट्टी पलटने वाले हल से एक बार जुताई करके फिर 3 से 4 बार हैरो से जुताई करें।

बेड बनाना (Raised Beds या उठी हुई क्यारियाँ)

बेड की ऊँचाई – 15 से 20 cm

बेड की चौड़ाई – 1 से 1.2 मीटर

दो बेड के मध्य की दूरी – 40 से 50 cm

बेड की लम्बाई – खेत के आकार के अनुसार

ड्रिप इरीगेशन सिस्टम लगाना

ड्रिप सिंचाई पाइप को बेड के बीच में लगाएं जिससे पानी व खाद पौधों की जड़ो तक आसानी से पहुँच जाए।

मल्चिंग करना

बेड की सतह पर 25 माइक्रोन की सिल्वर या ब्लैक पॉलीथिन मल्चिंग शीट बिछाएं।

मल्चिंग करने से खेत में नमी बनी रहती है जिससे पानी की बचत होती है और खेत का तापमान नियंत्रित रहता है। साथ ही खरपतवार भी कम उगते है।

टमाटर के बीजों की बुआई

बुआई का समय

वैसे तो पॉलीहाऊस में सर्दी, गर्मी और बरसात तीनों ही मौसम में टमाटर की खेती की जा सकती है, लेकिन ज्यादातर सर्दी और गर्मी की फसल ली जाती है।

सर्दी (रबी) की फसल लेने के लिए बुआई का समय – अगस्त से सितम्बर

गर्मी (जायद) की फसल लेने के लिए बुआई का समय – दिसम्बर से जनवरी

बीज दर

पॉलीहाऊस में टमाटर की खेती के लिए बीज दर मुख्यतः टमाटर की किस्म, पौधे से पौधे के बीच की दूरी और बीजों की अंकुरण दर पर निर्भर करती है।

देशी किस्मों के लिए – 150 से 200 ग्राम प्रति एकड़

हाइब्रिड किस्मों के लिए – 80 से 100 ग्राम प्रति एकड़

बीजों की दूरी

कतार से कतार की दूरी – 90 cm

पौधे से पौधे की दूरी – 40 से 50 cm

बीज उपचार

टमाटर के बीजों की बुआई करने से पहले उन्हें उपचारित करना बहुत जरूरी होता है, जिससे बेहतर अंकुरण होता है और स्वस्थ व मजबूत पौध तैयार होती है।

बीजों का फफून्दजनित रोगों से बचाव करने के लिए थायरम या केप्टान 2 से 3 ग्राम प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचारित करें।

बीजों का अंकुरण बढाने के लिए जिबरेलिक एसिड 25 PPM घोल में 12 घंटे भिगोकर सुखाएं।

बीजों की बुआई कैसे करें

पॉलीहाऊस में टमाटर के बीजों की सीधी बुआई ना करके नर्सरी में बुआई की जाती है।

नर्सरी में बुआई करने के लिए सबसे पहले आप 98 से 200 सेल वाली प्रो-ट्रे का चयन करें फिर प्रो-ट्रे में भरने के लिए मिश्रण तैयार करें उसके लिए कोकोपीट, वर्मीकम्पोस्ट और परलाइट को 2:1:1 के अनुपात में मिलाकर हल्का नम करें।

उसके बाद प्रत्येक सेल में 1 बीज डालें और कोकोपीट डालकर उसे कवर करें।

प्रो-ट्रे में हल्की नमीं बनाए रखें, लेकिन जरुरत से अधिक पानी न दें।

टमाटर के बीजों के अंकुरण के लिए 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है इसलिए बीजों की बुआई करने के बाद प्रो-ट्रे को किसी छायादार जगह या पॉलीहाऊस में ही रखें।

5 से 7 दिनों में बीज अंकुरित होकर पौधे निकल आते है जब यह पौधे 25 से 30 दिन के हो जाए और इनमे 4 से 5 पत्तियां आ जाए तब ये पॉलीहाऊस में रोपण के लिए तैयार हो जाते है।

शाम के समय पौधरोपण करें रोपाई के बाद हल्की सिंचाई करें।

बुआई के बाद समय समय पर उर्वरक डालना

पॉलीहाऊस में टमाटर की अच्छी उपज लेने के लिए संतुलित पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है इसलिए समय समय पर उर्वरकों का उपयोग करने से पौधों की वृद्धि, फूल और फल बनने की प्रक्रिया तेज होती है।

चलिए जानते है कि पौधों को किस समय कौनसा उर्वरक देना चाहिए :-  

पौधे की वृद्धि के समय

पौधरोपण के बाद जब पौधा 7 दिन का हो जाए तब NPK 19:19:19  2 किलो प्रति एकड़ की मात्रा से ड्रिप के माध्यम से या पत्तियों पर स्प्रे करें।

पौधरोपण के 25 दिन बाद कैल्सियम नाइट्रेट 2 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से ड्रिप के माध्यम से दें।

फूल आने के समय

पौधरोपण के 35 दिन बाद पोटाश (MOP) 2 से 3 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से ड्रिप के माध्यम से दें,

40 दिन बाद बोरोन 200 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से पानी में मिलाकर पत्तियों पर स्प्रे करें और लगभग 50 दिन बाद जिंक सल्फेट 1kg प्रति एकड़ + मैग्नीशियम सल्फेट 1kg प्रति एकड़ के हिसाब से पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

फल बनने के समय

पौधरोपण के 65 दिन बाद पोटैशियम नाइट्रेट 13:0:45  2 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से ड्रिप के माध्यम से दें, 75 दिन बाद फॉस्फोरस पोटाश 0:52:34  3 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से पानी में मिलाकर स्प्रे करें और लगभग 90 दिन बाद कैल्शियम नाइट्रेट  2 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से ड्रिप के माध्यम से दें।

सिंचाई

टमाटर के पौधों की जड़ों तक नमी बनाए रखने के लिए समय समय पर हल्की सिंचाई करें, लेकिन जलभराव से बचें।

टमाटर के पौधों की देखभाल करना

टमाटर के पौधों को सहारा देना

टमाटर के पौधों को सहारा देने से उन्हें ज्यादा धूप मिलती है और हवा का प्रवाह अच्छा होता है।

यदि टमाटर के पौधों को सहारा न दिया जाए तो वे जमीन पर फैल जाते है, जिससे टमाटर की गुणवत्ता खराब हो सकती है।

टमाटर के पौधों को मुख्यतः दो तरीकों से सहारा दिया जाता है :-

बांस या लकड़ी के डंडे से (Staking Method)

पॉलीहाऊस में टमाटर के हर पौधे के पास 5 से 6 फीट लम्बा बांस या लकड़ी का डंडा गाड़ें।

अब हर पौधे के तने को हल्के हाथों से डंडे से प्लास्टिक की रस्सी से बांध दें।

यह तरीका छोटे स्तर में टमाटर की खेती करने के लिए अधिक उपयुक्त होता है।

जाली या तार से (Trellising Method)

पॉलीहाऊस में लगभग 5 से 7 फीट की ऊँचाई पर मजबूत तार बांधे हर पौधे से एक नायलोन या जूट की रस्सी को इस तार से जोड़ दें। अब जैसे जैसे टमाटर के पौधे बढते है वैसे ही आप इन्हें धीरे धीरे ऊपर की ओर बढने में सहायता करें, जिससे ये सही दिशा में फैलें।

यह तरीका बड़े स्तर पर टमाटर की खेती के लिए अच्छा होता है।

टमाटर के पौधों की कटाई छंटाई करना

टमाटर के पौधों की अनावश्यक शाखाओं और पत्तियों को हटाने से उनकी ऊर्जा का सही उपयोग हो पाता है, जिससे टमाटर आकार में बड़े और मीठे होते है और टमाटर का उत्पादन भी बढता है।

टमाटर के पौधों की छंटाई करने से टमाटर की तुड़ाई और उनका रख रखाव आसान हो जाता है।

टमाटर के पौधों में जो पत्तियां पीली या मुरझाई हुई दिखें और जो फंगल संक्रमण या कीटों से ग्रसित हो, तो उन्हें तुरंत हटा दे।

टमाटर के पौधों में जो पत्तियां जमीन के बहुत निकट होती है या मिट्टी के संपर्क में हो उन्हें हटा दे जिससे पौधों को रोगों का खतरा कम हो पाए।

टमाटर में लगने वाले प्रमुख रोग और कीट

प्रमुख रोग और उनका नियंत्रण

अगेती झुलसा (Early Blight)

यह एक फफुन्दजनित रोग है।  इस रोग में पत्तियों पर गोल काले व भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते है ये धब्बे धीरे धीरे बड़े होने लगते है जिससे पत्तियां सूखकर झड़ जाती है।

इसकी रोकथाम के लिए सभी रोगग्रसित पौधों को उखाड़कर जला दें और ब्लाईटोक्स 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें जरूरत पड़ने पर 14 दिन के अन्तराल में फिर छिड़काव करें। 

बैक्टीरियल विल्ट

इस रोग के कारण पौधे अचानक मुरझाने लगते है और सूख जाते है।

इसकी रोकथाम के लिए स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 200 PPM + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। आवश्यकतानुसार 10 से 12 दिन के अन्तराल पर छिड़काव को दोहराएं।

पाउडरी मिल्ड्यू

इस रोग में पौधे की पत्तियों पर सफेद पाउडर जैसा पदार्थ दिखता है और पत्तियां पीली होकर झड़ने लगती है।

इसकी रोकथाम के लिए सल्फर 80% WP  2 ग्राम प्रति लीटर या Hexaconazole 5% SC  1 ml प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

जड़ गलन

इस रोग में जड़ें काली होकर सड़ने लगती है, जिससे टमाटर का पौधा धीरे धीरे सूख जाता है।

इसकी रोकथाम के लिए कार्बेन्डाजिम 50% WP 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

यह ध्यान रखें कि रोगनाशक दवाइयों का प्रयोग करते समय लेबल पर दिए गए निर्देशों का पालन करें।

प्रमुख कीट और उनका नियंत्रण

फल छेदक (Fruit Borer)

इस कीट का डिंभक टमाटर के भीतर प्रवेश करके उसका गुदा खाता रहता है और टमाटर को बिल्कुल बेकार कर देता है, जिससे टमाटर की गुणवत्ता और उपयोगिता दोनों कम हो जाती है।

इसके नियंत्रण के लिए मैलाथियान 50% EC  1ml प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

सफेद मक्खी , हरा तेला , मोयला और पर्ण जीवी

ये सभी कीट टमाटर के पौधों की पत्तियों व उनकी कोमल शाखाओं से रस चूसकर उन्हें कमजोर कर देते है।

सफेद मक्खी टमाटर के पौधों को पर्णकुंचन विषाणु रोग से ग्रस्त कर देती है। इस रोग के कारण पत्तियां छोटी , टेढ़ी मेढ़ी , मुड़ी हुई व सिकुड़ी हुई हो जाती है और रोगग्रस्त पौधा झाड़ीनुमा दिखने लगता है।

सफेद मक्खी और हरा तेला , मोयला व पर्ण जीवी के नियंत्रण के लिए डाइमिथोएट 30 EC या मैलाथियान 50 EC  1ml प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

यह ध्यान रखें कि कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग करते समय लेबल पर दिए गए निर्देशों का पालन करें।

टमाटर में दैहिक विकार

पॉलीहाऊस में टमाटर की खेती करते समय टमाटर में कई प्रकार के दैहिक विकार हो सकते है,

जैसे :-

ब्लॉसम एंड रॉट

टमाटर के निचले हिस्से पर काले या भूरे धब्बे दिखना

    रोकथाम के लिए कैल्शियम युक्त उर्वरक दें और नियमित सिंचाई करें।

    सनस्काल्ड

    तेज धूप और अधिक तापमान के कारण टमाटर पर सफेद या भूरे धब्बे बन जाते है।

      रोकथाम के लिए पौधों में पर्याप्त पत्तियां बनाए रखने के लिए सही पोषण दें और Shade net का उपयोग करें।

      पानी की अनियमितता और तापमान में अचानक बदलाव के कारण टमाटर का फटना

      रोकथाम के लिए नियमित सिंचाई करें लेकिन नमी का संतुलन बनाए रखें।

      येलो शोल्डर

      अधिक धूप और पोटैशियम की कमी के कारण टमाटर का ऊपरी हिस्सा हरा-पीला रह जाता है।

        रोकथाम के लिए हल्के छायांकन (Shade-Net) का उपयोग करें और पोटैशियम की पूर्ति करें।

        ब्लोची रिपेनिंग

        टमाटर का असमान रूप से पकना अर्थात् टमाटर के कुछ हिस्से लाल होना और कुछ हरे-पीले होना

          रोकथाम के लिए पोटैशियम की पूर्ति करें और नाइट्रोजन की अधिकता से बचें।

          टमाटर की तुड़ाई

          वैसे तो टमाटर की तुड़ाई का सही समय उसकी किस्म और बाजार की मांग पर निर्भर करता है, फिर भी सामान्यतः पौधरोपण के लगभग 70 से 75 दिन बाद टमाटर की तुड़ाई शुरू हो जाती है।

          टमाटर की तुड़ाई 3 अवस्थाओं (Stage) में की जाती है :-

          Breaker Stage

          इस अवस्था में टमाटर लगभग 50% लाल होता है और 50% हरा होता है।

            जब लम्बे समय के लिए टमाटर का भण्डारण करना हो तब इस अवस्था में टमाटर की तुड़ाई की जाती है।

            Pink Stage

            इस अवस्था में टमाटर लगभग 75% लाल होता है।

              जब टमाटर का परिवहन करना हो तब इस अवस्था में तुड़ाई की जाती है।

              Fully Ripe Stage

              इस अवस्था में टमाटर 100% लाल हो जाता है, इसे पूर्ण परिपक्व अवस्था भी कहा जाता है।

                स्थानीय सब्जी मंडी में (जहाँ उपभोक्ता ताजे, लाल और पूरी तरह पके हुए टमाटर खरीदना पसंद करते है वहाँ) ले जाने के लिए इस अवस्था में तुड़ाई की जाती है।

                टमाटर की उपज

                पॉलीहाऊस में नियंत्रित वातावरण होने के कारण टमाटर का उत्पादन खुले खेत की तुलना में अधिक होता है।

                टमाटर का उत्पादन टमाटर की किस्म पर भी निर्भर करता है।

                1 एकड़ के पॉलीहाऊस में टमाटर का उत्पादन लगभग 60 से 80 टन और कुछ किस्मों में 80 से 100 टन तक हो जाता है।

                निष्कर्ष

                पॉलीहाऊस में टमाटर की खेती करने से किसानों को खुले खेत की तुलना में अधिक उत्पादन मिलता है और बेहतर गुणवत्ता वाला टमाटर मिलता है, जिससे किसानों को बाज़ार में अच्छे दाम मिल जाते है।

                किसान यदि खुले खेत में परंपरागत तरीके से टमाटर की खेती करने के बजाय पॉलीहाऊस में टमाटर की खेती करें, तो उन्हें कम पानी व कम कीटनाशकों की जरूरत पड़ती है, जिससे लागत में कमी आती है और मुनाफा भी अधिक होता है।

                अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

                एक टमाटर का पौधा कितने किलो टमाटर देता है?

                यह इस बात पर निर्भर करता है कि टमाटर की किस्म कौनसी है, फिर भी सामान्यतः टमाटर का एक पौधा 5 से 6 किलो टमाटर देता है, कुछ किस्मों में टमाटर का एक पौधा लगभग 8 से 15 किलो तक टमाटर दे सकता है।

                बरसात में टमाटर कब लगाया जाता है?

                बरसात (खरीफ) के मौसम में टमाटर की नर्सरी तैयार करने के लिए बीजों की बुआई का सही समय मई के अंत से लेकर जून की शुरुआत तक होता है। जब पौधे 25 से 30 दिन के हो जाए, तब ये रोपण के लिए तैयार हो जाते है।

                गर्मी में कौन सा टमाटर लगाया जाता है?

                गर्मी में टमाटर की खेती करने के लिए उन किस्मों का चयन किया जाता है, जो अधिक तापमान व सूखे मौसम के प्रति सहनशील हो। जैसे :- अर्का रक्षक, अर्का सम्राट, अभिलाष व नवीन आदि।

                टमाटर का रेट किस महीने ज्यादा होता है?

                मई जून के महीने में टमाटर का रेट ज्यादा हो सकता है, क्योकि इसका पहला कारण तो यह है कि इस समय पुरानी फसल ख़त्म हो जाती है और दूसरा कारण यह है कि गर्मी के मौसम में पानी की कमी व गर्म हवाओं के चलते उत्पादन कम होता है, जिससे रेट बढ़ जाती है।  

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