शिमला मिर्च जिसे कैप्सिकम, बेल पेपर और स्वीट पेपर के नाम से भी जाना जाता है, हालांकि इसका स्वाद थोडा बहुत तीखा महसूस होता है। शिमला मिर्च हरे रंग के अलावा लाल, पीले और भी कई अलग अलग रंगों में पाई जाती है। शिमला मिर्च खाने में बहुत ही स्वादिष्ट लगती है इसी कारण इसे होटल व रेस्टोरेंट्स में चाइनीस फूड आइटम्स बनाने, सैंडविच बनाने, पिज़्ज़ा व पनीर रोल जैसे और भी कई तरह के फूड आइटम्स बनाने में किया जाता है शिमला मिर्च को सलाद के रूप में कच्चा भी खाया जाता है।
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शिमला मिर्च की इतनी उपयोगिता होने के कारण बाज़ार में इसकी बहुत अधिक मांग होती है इसलिए किसानों को शिमला मिर्च की खेती से अधिक मुनाफा मिल सकता है यदि किसान खुले खेत में शिमला मिर्च की खेती करने के बजाय पॉलीहाऊस में इसकी खेती करे तो उन्हें तुलनात्मक रूप से कई अधिक मुनाफा मिलता है क्योकि पॉलीहाऊस में नियंत्रित वातावरण में शिमला मिर्च की खेती करने से बेहतर गुणवत्ता वाली शिमला मिर्च प्राप्त होती है, जिससे किसानों को बाज़ार में अच्छे दाम मिलते है।
पॉलीहाऊस में शिमला मिर्च की खेती के लिए उन्नत किस्में
कैलिफोर्निया वंडर
चायनीज जायंट
रूबी किंग
येलो वंडर
इंद्रा बॉम्बे
शिमला मिर्च की खेती के लिए अनुकूल परिस्थितियां
मिट्टी का चुनाव
पॉलीहाऊस में शिमला मिर्च की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। मिट्टी का चुनाव करते समय यह भी ध्यान रखें कि पॉलीहाऊस में उचित जल निकास की व्यवस्था होनी चाहिए।
मिट्टी का ph मान
पॉलीहाऊस में शिमला मिर्च की खेती के लिए मिट्टी का ph मान लगभग 6 से 7 के बीच में होना चाहिए।
उपयुक्त तापमान
सामान्य मिर्च (मसाले वाली) की तुलना में शिमला मिर्च के लिए ठंडा वातावरण अनुकूल होता है। पॉलीहाऊस में शिमला मिर्च की खेती के लिए 15 से 28 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है।
पॉलीहाऊस में शिमला मिर्च की खेती के लिए खेत की तैयारी
खेत की जुताई करना और खाद डालना
बुआई से पहले पॉलीहाऊस में लगभग 3 से 4 बार जुताई करें और पाटा लगाकर खेत को समतल करें।
शिमला मिर्च का अधिक उत्पादन लेने के लिए 8 से 10 टन प्रति एकड़ के हिसाब से सड़ी हुई गोबर की खाद आखिरी जुताई से पहले डालें एवं रासायनिक उर्वरक के रूप में लगभग 30 किलो नाइट्रोजन, 18 किलो फॉस्फोरस और 18 किलो पोटाश प्रति एकड़ के हिसाब से डालें।
Bed बनाना (Raised beds या उठी हुई क्यारियाँ )
बेड बनाने के लिए इन बातों का ध्यान रखें।
बेड की ऊँचाई लगभग 1 फीट के आस पास होनी चाहिए।
बेड की चौड़ाई लगभग 3 फीट होनी चाहिए और दो बेड के बीच की दूरी लगभग 2 फीट होनी चाहिए।
ड्रिप इरीगेशन सिस्टम लगाना
ड्रिप लाइन को बेड के मध्य में बिछाएं, जिससे पानी व आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति करने के लिए खाद को शिमला मिर्च के पौधों की जड़ों तक आसानी से पहुँचाया जा सके।
Mulching करना
बेड (उठी हुई क्यारियाँ) पर ड्रिप लाइन बिछाने के बाद उसे 25 माइक्रोन वाली काली पॉलिथीन से ढककर दोनों तरफ से किनारों को मिट्टी से दबा देना चाहिए। मल्चिंग करने से खरपतवार बहुत ही कम उगते है और पानी की भी बचत होती है क्योकि सिंचाई करने के बाद कई दिनों तक नमी बनी रहती है।
शिमला मिर्च के बीजों की बुआई
बुआई का समय
शिमला मिर्च मुख्यत रबी के मौसम में उगाई जाने वाली सब्जी है। रबी के मौसम में इसकी बुआई जनवरी – फ़रवरी में की जाती है, लेकिन पॉलीहाऊस में शिमला मिर्च की खेती दुसरे मौसम में भी सफलतापूर्वक की जा सकती है।
बीज दर
पॉलीहाऊस में शिमला मिर्च की खेती के लिए बीज दर मुख्यत शिमला मिर्च की किस्म, बीजों की अंकुरण दर और पौधे से पौधे व कतार से कतार की दूरी पर निर्भर करती है।
शिमला मिर्च की सामान्य किस्मों की बीज दर लगभग 300 ग्राम के आस पास और हाइब्रिड किस्मों की बीज दर लगभग 100 ग्राम के आस पास प्रति एकड़ के हिसाब से रहती है।
बीजों की दूरी
हर बेड पर दो कतार रखें।
कतार से कतार के बीच की दूरी – लगभग 50 से 60 cm
पौधे से पौधे के बीच की दूरी – लगभग 30 से 45 cm
बीज उपचार
शिमला मिर्च के बीजों की बुआई करने से पहले उनका उपचार करना बहुत जरुरी होता है, जिससे आद्रगलन रोग जैसी समस्याएँ उत्पन्न न हो।
अतः बुआई से पहले थायरम या केप्टान से 3 ग्राम प्रति 500 ग्राम बीज के हिसाब से बीज उपचार करना चाहिए।
बीजों की बुआई कैसे करें
पॉलीहाऊस में शिमला मिर्च की खेती करते समय इसकी सीधी बुआई ना करके नर्सरी में पौध तैयार करके रोपाई की जाती है, क्योकि शिमला मिर्च के बीज काफ़ी महंगे होते है और सीधी बुआई करने से बीज अधिक लगते है।
नर्सरी में पौध तैयार करने के लिए सर्वप्रथम हमें प्रो-ट्रे में भरने के लिए मिश्रण तैयार करना होगा।
इसके लिए कोकोपीट, वर्मीकुलाईट और परलाईट को 2:1:1 के अनुपात में मिलाकर तैयार मिश्रण को प्रो-ट्रे में भर दें, फिर प्रत्येक सेल में एक एक बीज डालकर उन्हें मिश्रण से कवर कर दें, ऊपर से झारे की मदद से हल्की सिंचाई कर दें।
बीजों की बुआई के लगभग 30 से 35 दिनों बाद तैयार पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाती है। पौधरोपण के समय तैयार पौध में लगभग 4 से 5 पत्तियां और लम्बाई 15 से 20 cm तक होनी चाहिए।
पौधरोपण करने के तुरन्त पश्चात् हल्की सिंचाई करना बहुत जरुरी है।
पौधरोपण के लगभग 20 दिनों बाद NPK 19:19:19 को 2 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से ड्रिप के माध्यम से दें।
सिंचाई
शिमला मिर्च के पौधों की जड़ों तक पर्याप्त नमी बनाए रखने के लिए आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई करते रहें।
शिमला मिर्च के पौधों की देखभाल करना
पॉलीहाऊस में शिमला मिर्च की खेती करते समय पौधों को सहारा देना और समय समय पर कटाई छंटाई करना अति आवश्यक होता है।
शिमला मिर्च के पौधों की देखभाल इस प्रकार की जाती है:-
शिमला मिर्च के पौधों को सहारा देना

शिमला मिर्च के पौधे स्वयं का और शिमला मिर्च का वजन उठाने योग्य नहीं होते है, इसलिए उन्हें नायलोन या जूट की रस्सी से सहारा दिया जाता है, जिससे शिमला मिर्च मिट्टी के संपर्क में नहीं आ पाती है और फल सड़न जैसी समस्याएँ नहीं हो पाती है।
शिमला मिर्च के पौधों की कटाई छंटाई करना
पौधरोपण के लगभग 20 दिनों बाद शिमला मिर्च के पौधे को लगभग एक फीट ऊपर से काटकर उसकी दो शाखाओं को बढ़ने दिया जाता है और इन शाखाओं को फसल के आखिरी समय तक रखा जाता है, बाकि सभी शाखाओं को समय समय पर हटाते रहना चाहिए।
शिमला मिर्च में लगने वाले प्रमुख रोग और कीट
पॉलीहाऊस में शिमला मिर्च की खेती करते समय कई प्रकार के रोगों व कीटों का सामना करना पड़ता है, उनमे से कुछ प्रमुख रोग और कीट इस प्रकार है:-
प्रमुख रोग और उनका नियंत्रण
आद्रगलन रोग
यह रोग नर्सरी में पौध तैयार करते समय और पौधे की युवावस्था में होता है।
इस रोग के कारण छोटे पौधे मर जाते है यह रोग नर्सरी में पौध तैयार करते समय आवश्यकता से अधिक सिंचाई करने पर और पौधरोपण के बाद उचित जल निकास की व्यवस्था न होने पर होता है।
इसकी रोकथाम के लिए पानी की अधिकता से बचें और बीजों की बुआई से पहले उन्हें एग्रोसन GN से उपचारित करें।
एन्थ्रेक्नोज रोग
इस रोग में पत्तियों व तने पर भूरे धब्बे दिखाई देते है।
इसकी रोकथाम के लिए थायरम 0.2 % के हिसाब से छिड़काव करें और 15 दिन बाद छिड़काव को दोहराएं।
मोज़ेक रोग
इस रोग के कारण शिमला मिर्च के पौधे की पत्तियां सिकुड़कर छोटी हो जाती है और पीली पड़ जाती है। साथ ही तना भी छोटा हो जाता है जिससे शिमला मिर्च की गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ता है।
इसकी रोकथाम के लिए मैलाथियान 50 EC को 1ml प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें और 15 दिनों बाद छिड़काव को दोहराएं।
मोज़ेक रोग से प्रभावित पौधों को उखाड़कर जला दें।
रोगनाशक दवाइयों का प्रयोग करते समय लेबल पर दिए गए निर्देशों का पालन अवश्य करें।
प्रमुख कीट और उनका नियंत्रण
लाल माईट
यह छोटी सी मकड़ियाँ पत्तियों का रस चूसकर उन्हें कमजोर कर देती है, जिससे शिमला मिर्च की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
इसकी रोकथाम के लिए मिथाइल डिमेंटोन 25 EC 1ml प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
हरा तेला, Aphids और सफेद मक्खी
ये कीट पौधे की पत्तियों के निचले भागों का रस चूसकर उन्हें कमजोर कर देते है।
इनकी रोकथाम के लिए मैलाथियान 50 EC 2ml प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग करते समय लेबल पर दिए गए निर्देशों का पालन अवश्य करें।
शिमला मिर्च में लगने वाले दैहिक विकार
पॉलीहाऊस में शिमला मिर्च की खेती करते समय शिमला मिर्च में कई प्रकार के दैहिक विकार उत्पन्न हो सकते है,
जैसे:- शिमला मिर्च का सूखना, फल सड़न जैसी समस्याएँ होना, फूलों का झड़ना और शिमला मिर्च की सतह का सूखकर भूरा पड़ना आदि।
इन सभी विकारों से बचने के लिए हमें दो बातों का ध्यान रखना बहुत जरुरी होता है:-
पहला पॉलीहाऊस में लगभग 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान नहीं होना चाहिए, यदि तापमान अधिक हो तो फोगर चलाकर तापमान नियंत्रित करें।
दूसरा पॉलीहाऊस में लगभग 60 % से अधिक नमीं बनाए रखें।
शिमला मिर्च की तुड़ाई

हरे रंग की शिमला मिर्च की तुड़ाई पौधरोपण के लगभग 60 दिनों बाद शुरू हो जाती है, पीले रंग की शिमला मिर्च की तुड़ाई लगभग 75 दिनों बाद और लाल रंग की शिमला मिर्च की तुड़ाई लगभग 85 दिनों बाद शुरू हो जाती है।
शिमला मिर्च के पौधे से लगभग 3 cm के डंठल सहित शिमला मिर्च की तुड़ाई करें।
पॉलीहाऊस में शिमला मिर्च का उत्पादन लगभग 6 महीनों तक चलता है।
शिमला मिर्च की उपज

पॉलीहाऊस में शिमला मिर्च की खेती करने पर लगभग 40 से 45 टन तक (संकर किस्मों में) प्रति एकड़ उत्पादन प्राप्त होता है।
निष्कर्ष
भारतीय किसान शिमला मिर्च की खेती यदि खुले खेत में करें तो उन्हें अधिक सिंचाई जल की आवश्यकता होती है और कीटों का प्रकोप भी ज्यादा होता है, जिससे कीटनाशक दवाइयों का अधिक खर्च आता है। उत्पादन भी कम होता है क्योकि मौसम का सीधा प्रभाव पौधों पर पड़ता है।
और किसान यदि खुले खेत में शिमला मिर्च की खेती करने के बजाय इसकी खेती पॉलीहाऊस में करें तो उन्हें कम लागत में अधिक मुनाफा मिलता है। साथ ही नियंत्रित वातावरण में खेती करने से शिमला मिर्च भी बेहतर गुणवत्ता वाली प्राप्त होती है, जिसके बाज़ार में अच्छे दाम मिल जाते है।
जानिए:- पॉलीहाऊस में टमाटर की खेती कैसे करें?
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
शिमला मिर्च की खेती में कितना खर्च आता है?
पॉलीहाऊस में शिमला मिर्च की खेती करने पर लगभग 40 से 50,000 रुपए तक का खर्च आता है, जिसमें सबसे अधिक खर्च शिमला मिर्च के बीजों का आता है, जो 8 से 9,000 रुपए प्रति 100 ग्राम बीज तक होता है। इसके अलावा खाद एवं उर्वरक, जुताई, निराई-गुड़ाई, रोगनाशक एवं कीटनाशक दवाइयाँ और इन सभी कार्यों को करने वाले मजदूरों का खर्च भी आता है।
एक पौधे से शिमला मिर्च का कितना उत्पादन होता है?
पॉलीहाऊस में शिमला मिर्च की खेती करते समय एक पौधे से लगभग 4 से 6 किलो तक शिमला मिर्च का उत्पादन प्राप्त होता है।